ब्रेकिंग! अनिल अंबानी के ठिकानों पर ED के ताबड़तोड़ छापे: यस बैंक घोटाले से क्या है कनेक्शन? जानें पूरी खबर!

आज, 24 जुलाई 2025, की सबसे बड़ी खबर ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है! उद्योगपति अनिल अंबानी और उनके रिलायंस ग्रुप से जुड़ी 50 से ज़्यादा कंपनियों के 35 से ज़्यादा ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ताबड़तोड़ छापेमारी की है। मुंबई और दिल्ली दोनों शहरों में हुई इस बड़ी कार्रवाई ने कॉरपोरेट जगत में हलचल मचा दी है।

ED की बड़ी कार्रवाई: क्या है पूरा मामला?

ईडी की यह छापेमारी यस बैंक लोन घोटाले से जुड़े एक बड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच का हिस्सा है। ये वो मुख्य बातें हैं जो आपको जाननी ज़रूरी हैं:

  • घूस का एंगल?: सूत्रों के मुताबिक, ED इस बात की भी गहनता से जांच कर रही है कि क्या इन बड़े लोन को मंज़ूरी देने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों को उनके बिज़नेस में 'कमीशन' या घूस के तौर पर पैसे मिले थे। एजेंसी "रिश्वत" और लोन के इस गठजोड़ को खंगाल रही है।

  • PMLA के तहत जांच: यह पूरी कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) की धारा 17 के तहत की जा रही है, जो मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आर्थिक अपराधों की जांच करने के लिए ED को व्यापक अधिकार देता है।

  • छापेमारी की वजह: आरोप है कि यस बैंक ने 2017 से 2019 के बीच रिलायंस अनिल अंबानी ग्रुप (RAAGA) की कंपनियों को लगभग ₹3,000 करोड़ के अवैध लोन दिए थे। ED की जांच में सामने आया है कि इन पैसों को बाद में शेल कंपनियों और ग्रुप की ही दूसरी कंपनियों में डायवर्ट (मोड़ दिया गया) था।

SBI ने भी रिलायंस कम्युनिकेशंस को 'धोखाधड़ी' घोषित किया!

यह छापेमारी ऐसे समय में हुई है जब देश के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने हाल ही में रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और उसके प्रमोटर-निदेशक अनिल अंबानी को 'धोखाधड़ी' (Fraud) के रूप में वर्गीकृत किया है। SBI ने इस मामले में CBI में शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। यह कदम ED की मौजूदा जांच को और बल देता है।

रिलायंस ग्रुप की कंपनियों का स्पष्टीकरण

छापेमारी की खबर सामने आने के बाद, रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने तुरंत स्टॉक एक्सचेंजों को स्पष्टीकरण जारी किए। उन्होंने कहा है कि:

  • इन कार्रवाइयों का उनके मौजूदा व्यावसायिक संचालन, वित्तीय प्रदर्शन या हितधारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

  • मीडिया रिपोर्ट्स में जिन लेनदेन का ज़िक्र है, वे मुख्य रूप से रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) या रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (RHFL) से संबंधित हैं, जो 10 साल से भी ज़्यादा पुरानी हैं।

    रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का इन कंपनियों या उनके लेनदेन से कोई व्यावसायिक या वित्तीय संबंध नहीं है।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात, उन्होंने दोहराया कि अनिल अंबानी अब रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड में नहीं हैं।

इस घटना के क्या हैं मायने?

यह अनिल अंबानी और उनके रिलायंस ग्रुप के लिए एक बड़ी चुनौती है। ED की यह कार्रवाई दर्शाती है कि देश में वित्तीय अनियमितताओं के खिलाफ जांच एजेंसियां लगातार सक्रिय हैं। इस मामले में आगे और भी खुलासे होने की उम्मीद है, जो भारतीय कॉर्पोरेट और बैंकिंग सेक्टर पर दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि ED की जांच में और क्या सामने आता है और इसका अनिल अंबानी और उनके ग्रुप के भविष्य पर क्या असर पड़ता है।

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