एलन मस्क का स्टारलिंक भारत में लॉन्च के लिए तैयार: 5 खास बातें जो आपको जानना चाहिए
1. सरकार ने दी हरी झंडी, मिला लाइसेंस
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पुष्टि की है कि स्टारलिंक को भारत में अपना ऑपरेशन शुरू करने के लिए Unified Licence मिल गया है। यह मंजूरी दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications) द्वारा दी गई है। यह प्रक्रिया 2021 में शुरू हुई थी, जिसमें अब जाकर सफलता मिली है। अब बस स्पेक्ट्रम आवंटन की आखिरी बाधा को दूर करना बाकी है।
2. जियो, एयरटेल के साथ मिलकर काम करेगा
दूरसंचार राज्य मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर के अनुसार, स्टारलिंक का लक्ष्य Jio, Airtel और BSNL जैसे मौजूदा प्रोवाइडर्स के साथ प्रतिस्पर्धा करने के बजाय, उनके नेटवर्क को पूरक (complement) बनाना है। यह खासकर उन ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा जहाँ मौजूदा नेटवर्क पहुँच नहीं पाते हैं। हार्डवेयर किट, जिसमें सैटेलाइट डिश और वाई-फाई राउटर शामिल हैं, को Jio और Airtel जैसी भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में वितरित किया जा सकता है।
3. कीमत और हार्डवेयर की जानकारी
रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारलिंक सेवा महंगी हो सकती है।
हार्डवेयर किट: सैटेलाइट डिश और राउटर के लिए आपको करीब ₹33,000 का एकमुश्त भुगतान करना पड़ सकता है।
मंथली प्लान: अनलिमिटेड डेटा के लिए मासिक शुल्क करीब ₹3,000 होगा। हालांकि, शुरुआती प्रमोशनल प्लान ₹850 प्रति माह से शुरू हो सकते हैं।
4. स्पीड और ग्राहक सीमा
स्टारलिंक से मिलने वाली इंटरनेट स्पीड 25 Mbps से लेकर 220 Mbps तक होने की उम्मीद है। शुरुआत में, कंपनी भारत भर में अधिकतम 20 लाख ग्राहकों तक ही अपनी सेवाएँ प्रदान कर सकेगी। यह सीमा मौजूदा भारतीय टेलीकॉम कंपनियों को प्रभावित न करने के उद्देश्य से लगाई गई है।
5. भविष्य और मुकाबला
स्टारलिंक अकेला नहीं है। भारती एंटरप्राइजेज समर्थित Eutelsat OneWeb और Jio का SES के साथ जॉइंट वेंचर भी भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने की तैयारी में है। वहीं, स्टारलिंक 2026 में अपने अगली पीढ़ी के सैटेलाइट्स को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, जो इंटरनेट की स्पीड को 10 गुना तक बढ़ा सकते हैं। एक बार स्पेक्ट्रम मिल जाने के बाद, स्टारलिंक भारत के डिजिटल डिवाइड को खत्म करने में अहम भूमिका निभा सकता है।
निष्कर्ष:
स्टारलिंक का भारत में आना एक बड़ी खबर है, खासकर उन लोगों के लिए जो अभी भी अच्छी इंटरनेट कनेक्टिविटी से वंचित हैं। इसकी ऊँची कीमत भले ही मेट्रो शहरों में इसे कम आकर्षक बना सकती है, लेकिन दूर-दराज के इलाकों के लिए यह एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। अब सभी की निगाहें स्पेक्ट्रम आवंटन पर टिकी हैं, जिसके बाद ही हम कह सकते हैं कि यह सेवा भारत में कब से शुरू होगी।
एक टिप्पणी भेजें