डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति, अपने "अमेरिका फर्स्ट" एजेंडे को फिर से जिंदा कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने इस्पात और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% करने की घोषणा की है, जो 4 जून से प्रभावी हो गया है। ब्रिटेन को इस वृद्धि से बाहर रखा गया है, लेकिन यह कदम वैश्विक व्यापार, और विशेष रूप से भारत के निर्यात क्षेत्र के लिए दूरगामी परिणाम ला सकता है। तो, क्या भारत के कारखानों, निर्यात और नौकरियों पर गाज गिरने वाली है? आइए गहराई से समझते हैं।
भारत के निर्यात पर मंडराता खतरा
वित्तीय वर्ष 2024-25 में, भारत ने अमेरिका को लगभग $4.56 बिलियन मूल्य के इस्पात, एल्यूमीनियम और संबंधित उत्पाद निर्यात किए। इसमें $587.5 मिलियन के लौह और इस्पात उत्पाद, $3.1 बिलियन के लोहे या इस्पात के सामान, और $860 मिलियन के एल्यूमीनियम और संबंधित वस्तुएं शामिल थीं। 50% का नया टैरिफ इन उत्पादों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा को बुरी तरह प्रभावित करेगा।
इसका सबसे बड़ा खामियाजा महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में केंद्रित छोटे और मध्यम आकार के विनिर्माताओं को भुगतना पड़ सकता है, जहां नौकरियों का नुकसान अपरिहार्य हो सकता है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया (EEPC) ने चेतावनी दी है कि यह टैरिफ वृद्धि लगभग $5 बिलियन के इंजीनियरिंग निर्यात को खतरे में डाल सकती है। EEPC के अध्यक्ष पंकज चड्ढा ने तो यहां तक कहा है कि भारत को ब्रिटेन की तरह की छूट की तलाश करनी चाहिए, खासकर जब अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर बातचीत चल रही हो।
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घरेलू बाजार और उपभोक्ताओं पर असर
मूडीज़ रेटिंग्स और एल्यूमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (AAI) दोनों ने आगाह किया है कि भारतीय इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादकों को निर्यात करने में अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। वे पहले से ही कम लागत वाले आयात से जूझ रहे हैं, और बढ़े हुए टैरिफ से उनकी स्थिति और खराब हो सकती है।
सिर्फ निर्यात ही नहीं, आम उपभोक्ताओं को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कारों से लेकर रेफ्रिजरेटर तक, कई उत्पादों के लिए इनपुट लागत बढ़ने से उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं।
'ट्रेड डायवर्जन' का बड़ा खतरा
सबसे बड़ी चिंता "ट्रेड डायवर्जन" की है। जब कनाडा, ब्राजील, मेक्सिको, दक्षिण कोरिया और वियतनाम जैसे अन्य देश भी अमेरिकी टैरिफ का सामना करेंगे, तो वे अपने अतिरिक्त धातु उत्पादों को भारत जैसे बाजारों में भेज सकते हैं। इससे भारत में सस्ते आयात की बाढ़ आ सकती है, जिससे घरेलू कीमतों में गिरावट आ सकती है और भारतीय उत्पादकों के लिए प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो सकता है।
JSW स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और सीईओ जयंत आचार्य ने आगाह किया है कि भारत को सक्रिय रूप से आवश्यक व्यापार उपायों को लागू करना चाहिए, क्योंकि "बदलते वैश्विक टैरिफ के कारण भारत में व्यापार मार्ग में बदलाव का जोखिम बढ़ सकता है, और भारत मजबूत घरेलू मांग के कारण बहुत कमजोर है।" यह स्थिति घरेलू विनिर्माण क्षमता के कम उपयोग, मार्जिन में कमी और रोजगार तथा भविष्य के निवेश पर जोखिम पैदा कर सकती है। भारत लगातार दो वर्षों से शुद्ध इस्पात आयातक रहा है, जो इस खतरे को और बढ़ाता है।
भारत की प्रतिक्रिया और आगे की राह
केंद्रीय मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने इस कदम के भारत पर व्यापक प्रभाव को "मामूली" बताया है। हालांकि, भारतीय अधिकारियों ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में एक औपचारिक अधिसूचना दायर की है, जिसमें संकेत दिया गया है कि यदि आवश्यक हुआ तो अमेरिकी आयात पर जवाबी टैरिफ लगाए जा सकते हैं, जिसका अनुमानित मूल्य लगभग $2 बिलियन है।
भारत ने पहले भी 2019 में अमेरिका के इस्पात और एल्यूमीनियम टैरिफ के जवाब में 28 अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाया था, जिन्हें बाद में 2023 में हटा दिया गया था। GTRI के अजय श्रीवास्तव का मानना है कि यदि ट्रंप वही रणनीति अपनाते हैं, तो स्टील और एल्यूमीनियम पर टैरिफ की वापसी को व्यापार वार्ताओं में एक लाभ उठाने वाले उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए, भारत सरकार ने 21 अप्रैल 2025 से फ्लैट स्टील उत्पादों पर 12% अनंतिम सुरक्षा शुल्क लगाया है, ताकि सस्ते आयात को रोका जा सके और घरेलू बाजार को स्थिर किया जा सके। टाटा स्टील के सीईओ टी वी नरेंद्रन ने चेतावनी दी है कि समय पर कार्रवाई के बिना उद्योग का वित्तीय स्वास्थ्य बिगड़ सकता है, और निवेश योजनाओं को भी संशोधित करना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर, ट्रंप की नई नीति भारतीय कारखानों, निर्यात और नौकरियों के लिए एक गंभीर चुनौती पेश कर सकती है। भारत को इस स्थिति का सामना करने और घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए सक्रिय रूप से रणनीति बनाने की आवश्यकता है, ताकि वैश्विक व्यापार में संतुलन बनाए रखा जा सके और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान से बचाया जा सके।
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